प्रत्येक रोगी में रक्त यूरिया तथा हीमोग्लोविन (haemoglobin) की जाँच और पाइलोग्रैफी (pyelography) तथा मूत्राशय दर्शन (cystoscopy) होना चाहिए।
2.
इसके निदान के लिये क्रमश: मूत्रसंवर्धन, अंत:शिरा पाइलोग्रैफी (pyelography), मूत्राशय दर्शन (cystoscopy), मूत्राशय दर्शक जीवोतिपरीक्षा (cystoscopy biopsy) तथा उभयहस्त (bimanual) परीक्षा करनी चाहिए।